Religars प्रमुख Rashmi sulaja के खिलाफ ED ने दर्ज की FIR

डाबर के मालिक बर्मन परिवार और रेलिगेयर एंटरप्राइजेज लिमिटेड (आरईएल) के शीर्ष अधिकारियों के बीच विवाद में एक नया मोड़ आया है। महाराष्ट्र पुलिस ने Religare की चेयरपर्सन Rashmi sulaja और तीन अन्य अधिकारियों के खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश का मामला दर्ज किया है। यह कार्रवाई प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की शिकायत पर की गई है। मामला मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा है।

यह विवाद सितंबर 2023 में तब शुरू हुआ जब बर्मन परिवार की चार फर्मों ने रेलिगेयर में 5.27% और हिस्सेदारी खरीदी। इससे उनकी हिस्सेदारी 25% से अधिक हो गई, जिससे नियमों के अनुसार उन्हें कंपनी के शेयरधारकों के लिए एक अनिवार्य ओपन ऑफर देना पड़ा। हालांकि, रेलिगेयर के निदेशक मंडल ने इस ओपन ऑफर का विरोध किया और सेबी को कई पत्र लिखकर कहा कि बर्मन इस अधिग्रहण के लिए उपयुक्त नहीं हैं।

सेबी ने रेलिगेयर से सबूत मांगे और उन्हें ओपन ऑफर की प्रक्रिया पूरी करने की सलाह दी। इसमें भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), बीमा नियामक (IRDA), और सेबी से आवश्यक अनुमोदन लेना शामिल था, क्योंकि रेलिगेयर के पास एनबीएफसी और बीमा व्यवसाय चलाने का लाइसेंस है। रेलिगेयर ने अनुमोदन के लिए आवेदन करने से इनकार कर दिया, जिसके बाद सेबी ने 12 जुलाई 2024 की समय सीमा तय की। हालांकि, रेलिगेयर प्रबंधन ने इस आदेश को चुनौती दी, लेकिन न्यायाधिकरण ने सेबी के फैसले को बरकरार रखा।

धोखाधड़ी के आरोप रेलिगेयर एंटरप्राइजेज लिमिटेड (आरईएल) की कार्यकारी अध्यक्ष रश्मि सलूजा और अन्य अधिकारियों के खिलाफ लगाए गए हैं। इन आरोपों की मुख्य बातें निम्नलिखित हैं:

  1. प्रेरित एफआईआर दर्ज करना: आरोप है कि रेलिगेयर के अधिकारियों ने डाबर के बर्मन परिवार के खिलाफ गलत इरादों से एफआईआर दर्ज करवाई। इसमें कहा गया कि बर्मन परिवार रेलिगेयर के अधिग्रहण में अनियमितताओं में शामिल है। यह एफआईआर कथित रूप से झूठी और प्रेरित मानी जा रही है, जिसे बर्मन परिवार को नुकसान पहुंचाने के इरादे से दर्ज किया गया था।
  2. अधिग्रहण पर आपत्ति: जब बर्मन परिवार ने रेलिगेयर में अतिरिक्त हिस्सेदारी हासिल की और ओपन ऑफर जारी किया, तो रेलिगेयर के अधिकारियों ने इसके खिलाफ सेबी और अन्य नियामक संस्थाओं के समक्ष आपत्ति जताई। अधिकारियों ने आरोप लगाया कि बर्मन परिवार अधिग्रहण के लिए “उपयुक्त और योग्य” नहीं है। हालांकि, इन आरोपों को प्रमाणित करने के लिए आवश्यक सबूत प्रस्तुत नहीं किए गए, जिससे यह मामला संदिग्ध हो गया।
  3. धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश: रेलिगेयर के अधिकारियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी) और 120-बी (आपराधिक साजिश) के तहत मामला दर्ज किया गया है। इसमें कहा गया है कि उन्होंने बर्मन परिवार के खिलाफ गलत आरोप लगाकर धोखाधड़ी और साजिश रची, ताकि अधिग्रहण प्रक्रिया को रोका जा सके और कंपनी के नियंत्रण पर उनका अधिकार बना रहे।

ED(प्रवर्तन निदेशालय) द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के मामले की जांच के दौरान इन आरोपों को उठाया गया, जिसके आधार पर महाराष्ट्र पुलिस ने मामला दर्ज किया।

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