Dussehra 2024: धर्म की जीत का पर्व और विविध परंपराएँ

Dussehra 2024

Dussehra , जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है, भारत और नेपाल में मनाए जाने वाले सबसे प्रमुख हिंदू त्योहारों में से एक है। यह त्योहार अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है और बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। 2024 में, दशहरा रविवार, 13 अक्टूबर को मनाया जाएगा, जिसमें देश भर में अलग-अलग रीति-रिवाज और परंपराएँ देखने को मिलेंगी। यह त्योहार धार्मिकता की जीत का प्रतीक है और लाखों हिंदुओं के लिए इसका सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक है।

Dussehra 2024: तिथि और समय

 Dussehra या विजयादशमी इस वर्ष 12 और 13 अक्टूबर को पूरे देश में मनाई जाएगी। यह त्योहार अच्छाई की बुराई पर जीत का संदेश देता है और लोगों को एकजुट करता है। भले ही हर क्षेत्र में परंपराएँ अलग हों – जैसे रावण के पुतले का दहन, कुल्लू और मैसूर में भव्य जुलूस, या नेपाल में टीका लगाना – लेकिन त्योहार का मुख्य उद्देश्य धर्म की जीत और अंधकार पर प्रकाश की विजय है।
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:02 से 02:49 बजे तक

उत्तर भारत में विजयादशमी: शनिवार, 12 अक्टूबर 2024

बंगाल विजयादशमी का समय: दोपहर 01:16 से 03:35 बजे तक

दशमी तिथि प्रारंभ: 12 अक्टूबर 2024 को सुबह 10:58 बजे

दशमी तिथि समाप्त: 13 अक्टूबर 2024 को सुबह 09:08 बजे

Dussehra  ( विजयादशमी )का महत्व

Dussehra  ( विजयादशमी ) का हिंदू पौराणिक कथाओं में विशेष महत्व है। यह वह दिन है जब भगवान राम ने रावण का वध किया था, जो अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक है। पूरे भारत में, इस अवसर पर रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले जलाए जाते हैं और रामलीला के नाट्य रूपांतरण भी होते हैं।
दशहरे का एक और महत्वपूर्ण पहलू देवी दुर्गा से जुड़ा है। यह उस दिन का प्रतीक है जब देवी दुर्गा ने महिषासुर को पराजित किया था, जो दिव्य स्त्री शक्ति की बुराई पर जीत को दर्शाता है।

पश्चिम बंगाल का अनोखा उत्सव

पश्चिम बंगाल में Dussehra भारत के अन्य हिस्सों की तुलना में भिन्न रूप में मनाई जाती है। यहाँ दशमी तिथि के आधार पर पूजा संपन्न होती है और मुहूर्त को कम महत्व दिया जाता है। इस कारण, अक्सर बंगाल में विजयादशमी अन्य स्थानों से एक दिन बाद मनाई जाती है। यह प्रथा बंगाल की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

कुल्लू में Dussehra

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू Dussehra में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, जिसे कुल्लू दशहरा के नाम से जाना जाता है। यह सात दिन तक चलता है और यहाँ रावण के पुतले नहीं जलाए जाते, बल्कि भगवान राम और अन्य देवताओं की पूजा की जाती है। इसका मुख्य आकर्षण भगवान रघुनाथ की भव्य शोभायात्रा है, जिसमें हज़ारों लोग सम्मिलित होते हैं।

मैसूर का Dussehra

कर्नाटक के मैसूर में Dussehra भव्यता के साथ मनाया जाता है, जिसे मैसूरु दशहरा कहा जाता है। इस अवसर पर मैसूर पैलेस हजारों लाइटों से सजाया जाता है और देवी चामुंडेश्वरी की शोभायात्रा निकाली जाती है, जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। दस दिन तक चलने वाले इस उत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रम, मेले और प्रदर्शनियाँ भी आयोजित की जाती हैं।

नेपाल का Dussehra

नेपाल में Dussehra (विजयादशमी ) को दशईं के रूप में मनाया जाता है, जो वहाँ का सबसे लंबा और महत्वपूर्ण त्योहार है। यह 15 दिनों तक चलता है और विजयादशमी के दिन बुजुर्गों से टीका और जमारा आशीर्वाद लेकर अच्छाई की बुराई पर जीत का संदेश दिया जाता है।

 Dussehra पूरे भारत और नेपाल में विविध परंपराओं और रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है, लेकिन इसका मुख्य संदेश एक ही है: धर्म की अधर्म पर और प्रकाश की अंधकार पर विजय।

दशईं का दसवाँ दिन सबसे महत्वपूर्ण होता है, जिसे विजयादशमी के रूप में जाना जाता है। यह अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है। इस दिन, लोग अपने परिवार के बुजुर्गों से आशीर्वाद लेने के लिए इकट्ठा होते हैं, जो टीका और जमारा के रूप में दिया जाता है।

Dussehra के शुभ अवसर पर कुछ और कार्य भी हैं जिन्हें करने से बचना चाहिए:

अशुभ विचारों से बचें: विजयादशमी पर मन में किसी भी प्रकार की नकारात्मकता, ईर्ष्या या द्वेष न रखें। यह दिन सकारात्मकता और शुभता का प्रतीक है, इसलिए मन और विचारों को पवित्र रखें।

असत्य आचरण न करें: इस दिन कोई भी ऐसा कार्य न करें जो अनैतिक हो या किसी को धोखा देने वाला हो। सत्य, धर्म और न्याय का पालन करें, क्योंकि यह दिन रावण पर राम की विजय का प्रतीक है, जो असत्य और अधर्म पर सत्य की जीत को दर्शाता है।

अधूरी पूजा न करें: विजयादशमी के दिन देवी-देवताओं की पूजा विधिपूर्वक और श्रद्धा के साथ करें। पूजा को आधा-अधूरा छोड़ना या लापरवाही से करना शुभ नहीं माना जाता।

वृक्षों को न काटें: Dussehra के दिन किसी भी प्रकार का वृक्ष न काटें या पेड़-पौधों को हानि न पहुँचाएं। प्रकृति का सम्मान करें, क्योंकि यह दिन पर्यावरण और जीवन के संतुलन का प्रतीक है।

आलस्य और प्रमाद से बचें: Dussehra का दिन कर्म का प्रतीक है, इसलिए इस दिन आलस्य या किसी भी प्रकार की लापरवाही से दूर रहें। उत्साह और सक्रियता के साथ अपने कर्तव्यों का पालन करें।

दूसरों की बुराई न करें: इस दिन किसी की बुराई या निंदा करने से बचें। यह समय सभी के प्रति सद्भाव और प्रेम भावना से जुड़ने का है।

महिलाओं का सम्मान करें

Dussehra का त्योहार सनातन धर्म में सत्य, धर्म और कर्म का प्रतीक माना जाता है।इस पवित्र दिन पर कभी भी बड़ों और महिलाओं का अपमान न करें, क्योंकि इससे माता लक्ष्मी रुष्ट हो सकती हैं और धन की हानि हो सकती है। इसलिए इस प्रकार की गलती से बचें।

किसी भी पशु-पक्षी को हानि न पहुँचाएं

दशहरा के दिन किसी भी पशु-पक्षी को हानि न पहुँचाएं और उनकी हत्या से दूर रहें, क्योंकि ऐसा करने से नकारात्मक परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। 

 तामसिक भोजन से परहेज करे 

इसके अलावा, शारदीय नवरात्रि के दौरान तामसिक भोजन और शराब से परहेज करना चाहिए।
दशहरा के दिन किसी से बात करते समय झूठ बोलने या कटु शब्दों का प्रयोग न करें, साथ ही किसी भी प्रकार के विवाद से बचें।

रावण की स्वार्थपूर्ण प्रवृत्तियों के कारण उसकी पूरी लंका नष्ट हो गई और कई सैनिक मारे गए, फिर भी वह तानाशाही करता रहा। इसलिए, हमें पारंपरिक और सामाजिक संस्थाओं को दबाने से बचना चाहिए।

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