Scam 1992 ka Harshad Mehta घोटाला: कैसे हिला दी भारतीय वित्तीय प्रणाली को

Harshad Mahta

1992 में हुए Harshad Mehta घोटाले ने भारत के वित्तीय क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया। यह घोटाला न केवल वित्तीय प्रणाली की खामियों को उजागर करने में अहम साबित हुआ, बल्कि देश की बैंकिंग और शेयर बाजार प्रणाली में सुधार की दिशा में बदलाव की नई शुरुआत भी बनी। हर्षद मेहता आज भी एक विवादास्पद नाम हैं—कुछ लोग उन्हें शानदार वित्तीय रणनीतिकार मानते हैं, तो कुछ लोग उन्हें भारत के सबसे बड़े घोटालेबाज के रूप में देखते हैं। आइए, इस कहानी को जानें जिसने भारतीय वित्तीय क्षेत्र को एक नई दिशा दी।

Harshad Mehta: एक घोटाले का मास्टरमाइंड

ने भारत के शेयर बाजार में अपने वित्तीय कौशल से सबका ध्यान आकर्षित किया। वे बैंकिंग प्रणाली की कमजोरियों का फायदा उठाकर शेयर की कीमतें कृत्रिम रूप से बढ़ाने में सफल रहे। इस घोटाले का पर्दाफाश 1991-92 के दौरान हुआ, जब भारत बड़े आर्थिक सुधारों के दौर से गुजर रहा था। बैंक फंड का इस्तेमाल कर मेहता ने कुछ शेयरों की कीमतें इतनी बढ़ा दीं कि शेयर बाजार पूरी तरह से हिल गया। उनकी इसी क्षमता ने उन्हें ‘बिग बुल’ का खिताब दिलाया।

Harshad Mehta की पृष्ठभूमि: गरीबी से बुल मार्केट तक का सफर

हर्षद मेहता का जन्म एक साधारण गुजराती परिवार में हुआ था। उनकी आर्थिक स्थिति बहुत ही साधारण थी और उन्होंने अपने करियर की शुरुआत मुंबई में छोटे-मोटे कामों से की। हालांकि, उनमें कुछ बड़ा हासिल करने की ललक थी। 1980 के दशक में, मेहता ने “ग्रोमोर रिसर्च एंड एसेट मैनेजमेंट” नामक अपनी कंपनी बनाई, जिसने उन्हें शेयर बाजार में कदम रखने का मौका दिया। उनकी रणनीतियां और ट्रेडिंग के तरीके ऐसे थे कि वे जल्द ही शेयर बाजार के बड़े खिलाड़ी बन गए। कम कीमत वाले शेयरों को पहचान कर ऊंची कीमतों पर बेचने की उनकी क्षमता ने उन्हें ‘बिग बुल’ के रूप में मशहूर कर दिया।

1992 का घोटाला: कैसे हुई हेराफेरी?

Harshad Mehta घोटाला कई जटिल प्रक्रियाओं का नतीजा था, जिसमें नकली बैंक रसीदें (BR) और कई वित्तीय संस्थानों की संलिप्तता शामिल थी। मेहता ने बैंकों से भारी मात्रा में उधार लेकर उन फंडों का इस्तेमाल चुने हुए शेयरों की कीमतें बढ़ाने के लिए किया। उन्होंने इन फंडों का इस्तेमाल ऐसे शेयर खरीदने के लिए किया, जिनकी कीमतें बाद में बढ़ गईं, और इस तरह वे खुद मुनाफा कमाने में सफल हुए। नकली बैंक रसीदों और नकली लेनदेन के जरिए उन्होंने बैंकिंग प्रणाली का फायदा उठाकर शेयर बाजार में बड़ा घोटाला किया।

हर्षद मेहता घोटाले में प्रमुख व्यक्ति और उनकी भूमिका

इस घोटाले में हर्षद मेहता के अलावा कई अन्य महत्वपूर्ण व्यक्ति भी शामिल थे:

  • हर्षद मेहता: घोटाले के मुख्य सूत्रधार, जिनकी योजना ने पूरे शेयर बाजार को हिला दिया।
  • सुचेता दलाल: वरिष्ठ पत्रकार जिन्होंने इस घोटाले का पर्दाफाश किया और इसे जनता के सामने लाया।
  • बैंक अधिकारी: कई बैंक अधिकारियों की मिलीभगत नकली BR जारी करने में सामने आई।
  • राजनेता: कुछ प्रमुख राजनेताओं पर भी घोटाले में संलिप्तता के आरोप लगे, जिसने इस घोटाले को और भी बड़ा बना दिया।

भारतीय शेयर बाजार पर घोटाले का असर

हर्षद मेहता घोटाले का भारतीय शेयर बाजार पर गहरा और दीर्घकालिक प्रभाव पड़ा।

  • शेयर बाजार में गिरावट: इस घोटाले के बाद BSE सेंसेक्स में भारी गिरावट आई, जिससे निवेशकों का बड़ा नुकसान हुआ।
  • निवेशकों का विश्वास टूटा: घोटाले के बाद खुदरा निवेशकों में शेयर बाजार के प्रति अविश्वास पैदा हुआ, जो कि कई सालों तक बना रहा।
  • विनियामक सुधार: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने बाजार में पारदर्शिता बढ़ाने और घोटालों को रोकने के लिए सख्त नियम लागू किए।
  • बैंकिंग क्षेत्र में सुधार: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने बैंकिंग क्षेत्र में भी कई आवश्यक बदलाव किए, ताकि बैंकिंग प्रणाली अधिक सुरक्षित और पारदर्शी बन सके।
  • ट्रेडिंग का आधुनिकीकरण: इस घोटाले के बाद इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग और डीमैटरियलाइजेशन की दिशा में कदम उठाए गए, जिससे भविष्य में घोटाले की संभावना कम हो सके।

मीडिया और जनता की प्रतिक्रिया

मीडिया ने हर्षद मेहता घोटाले को बड़े पैमाने पर कवर किया। इस घोटाले से पहले जहाँ मेहता की जीवनशैली ने लोगों को आकर्षित किया, वहीं घोटाले का पर्दाफाश होते ही उनमें गुस्सा और अविश्वास की भावना बढ़ गई। मेहता की आलीशान जिंदगी, महंगे बंगले और लक्ज़री कारों की चकाचौंध भी इस चर्चा का एक हिस्सा बन गई। इस घटना के बाद मेहता एक विवादास्पद सेलिब्रिटी बन गए, जिनकी कहानी ने कई महीनों तक मीडिया की सुर्खियाँ बटोरीं।

Scam1992: इस घोटाले से सीखे गए सबक

Harshad Mehta घोटाला भारतीय वित्तीय प्रणाली के लिए एक अहम सबक साबित हुआ। इस घटना ने निवेशकों को अधिक जागरूक और सतर्क रहने का पाठ पढ़ाया। साथ ही, निवेशकों को ये समझने का मौका मिला कि बिना सावधानी के निवेश करना कितना जोखिम भरा हो सकता है।

  • वित्तीय निगरानी प्रणाली में सुधार: इस घटना के बाद, SEBI और RBI ने अपने नियमों को और कड़े बनाए ताकि भविष्य में ऐसे घोटालों से बचा जा सके।
  • निवेशकों की जागरूकता: इस घोटाले ने निवेशकों को सतर्कता और जोखिम प्रबंधन का महत्व सिखाया, ताकि वे भविष्य में ऐसे घोटालों से बच सकें।
  • बैंकिंग और वित्तीय सुधार: इस घोटाले के बाद बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में भी बड़े पैमाने पर सुधार हुए, ताकि नकली बैंक रसीदों जैसे साधनों का गलत इस्तेमाल न हो।

निष्कर्ष: हर्षद मेहता घोटाले की विरासत

हर्षद मेहता घोटाला भारत के वित्तीय इतिहास का ऐसा अध्याय है जिसने पूरे सिस्टम को झकझोर दिया। इस घोटाले ने न केवल बैंकों और शेयर बाजार की खामियों को उजागर किया, बल्कि सुधार की आवश्यकता को भी सामने लाया। इसके कारण भारतीय वित्तीय बाजारों में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा मिला और आज के निवेशकों के लिए यह एक अहम सबक बन चुका है।

Scam1992: एक लोकप्रिय वेब सीरीज़

Scam 1992 एक लोकप्रिय वेब सीरीज़ है, जो SonyLIV पर उपलब्ध है। यह शो 1992 के कुख्यात हर्षद मेहता घोटाले पर आधारित है और भारतीय स्टॉक मार्केट के इतिहास के सबसे बड़े वित्तीय घोटाले की गहराई से पड़ताल करता है। शो को हंसल मेहता ने निर्देशित किया है और इसमें प्रतीक गांधी ने हर्षद मेहता का किरदार निभाया है। यह सीरीज़ हर्षद मेहता के संघर्ष, उत्थान और पतन को दिखाते हुए बताती है कि कैसे उन्होंने बैंकिंग सिस्टम की कमजोरियों का लाभ उठाकर अरबों रुपये का घोटाला किया। सीरीज़ को अपने सटीक शोध, शानदार अभिनय और 80-90 के दशक की यथार्थपूर्ण प्रस्तुति के लिए खूब सराहा गया, जिससे यह भारत की सबसे चर्चित वेब सीरीज़ में से एक बन गई है।

 (FAQs)

1. हर्षद मेहता घोटाले में कितनी राशि की हेराफेरी हुई थी?
लगभग ₹4,000 करोड़ की हेराफेरी हुई थी, जो आज के समय में ₹24,000 करोड़ से भी अधिक होती।

2. हर्षद मेहता ने बैंक फंड का इस्तेमाल कैसे किया?
उन्होंने नकली बैंक रसीदों के माध्यम से बैंकों से उधार लिया और इन पैसों से शेयर की कीमतें बढ़ाईं, जिससे उन्हें मुनाफा हुआ।

3. इस घोटाले का भारतीय शेयर बाजार पर क्या प्रभाव पड़ा?
इससे BSE सेंसेक्स में भारी गिरावट आई और खुदरा निवेशकों का बाजार के प्रति विश्वास डगमगा गया, जिससे शेयर बाजार में ठहराव आया।

4. इस घोटाले को उजागर करने में किसकी भूमिका थी?
वरिष्ठ पत्रकार सुचेता दलाल ने इस घोटाले का पर्दाफाश किया और इसे सार्वजनिक रूप से सामने लाया।

5. हर्षद मेहता घोटाले से भारतीय वित्तीय प्रणाली में क्या सुधार हुए?
SEBI ने सख्त नियम लागू किए, बैंकिंग क्षेत्र में सुधार हुए और ट्रेडिंग सिस्टम में भी आधुनिकीकरण के कदम उठाए गए, ताकि भविष्य में ऐसे घोटालों को रोका जा सके।

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