हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में मस्जिद से जुड़ा विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। बुधवार को संजौली में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच टकराव की स्थिति बन गई। इस विवाद की शुरुआत आखिर कहां से हुआ… आइए जानते
Himachal Pradesh की राजधानी Shimla Sanjauli Majjid में को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। हिंदू संगठनों का आरोप है कि मस्जिद का निर्माण अवैध रूप से किया गया है, इसलिए इसे गिराया जाना चाहिए। बुधवार को संजौली में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच टकराव हो गया, जिसके चलते पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। हालांकि, स्थिति संभालने के लिए धारा 144 लागू कर दी गई है, लेकिन फिर भी हजारों लोग सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
कोर्ट में है ये मामला
5 अक्टूबर को इस मामले की सुनवाई होनी है। हिंदू संगठनों का सवाल है कि नगर निगम की जानकारी के बिना यह पांच मंजिला मस्जिद कैसे बनाई गई। 2009 में पहली बार इस मस्जिद के अवैध निर्माण की शिकायतें आई थीं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। 2012 तक यह मस्जिद दो मंजिला थी, जो 2019 तक पांच मंजिला बन गई। 2019 में नगर निगम ने इस अवैध निर्माण के लिए जिम्मेदार व्यक्ति को एक्स पार्टी घोषित कर दिया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब वक्फ बोर्ड मामले में शामिल है और 5 अक्टूबर को जवाब देगा कि बिना नक्शे के यह अवैध निर्माण कैसे हुआ।
कैसा शुरू हुआ ये विवाद
यह विवाद तब शुरू हुआ जब मल्याणा इलाके में एक हिंदू व्यक्ति के साथ मारपीट की गई और आरोपियों ने मस्जिद में शरण ली। इसके बाद हिंदू संगठनों ने मस्जिद के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया और इसे अवैध बताकर गिराने की मांग की। धीरे-धीरे यह प्रदर्शन उग्र हो गया।
Government का है पक्ष
कैबिनेट मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने विधानसभा में कहा कि मस्जिद सरकारी जमीन पर बनी है और यह पूरी तरह से अवैध है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बाहरी लोग शिमला का माहौल खराब कर रहे हैं और लव जिहाद और रोहिंग्याओं की बात भी उठाई।
मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि यह मामला लंबे समय से लंबित है और अगर मस्जिद अवैध पाई जाती है, तो इसे गिराया जाएगा। लेकिन सरकार कानून के मुताबिक आगे बढ़ेगी और राज्य में शांति बनाए रखने संजौली मस्जिद विवाद: पांच मंजिला अवैध निर्माण का आरोप, हिंदू संगठनों का विरोध जारीका प्रयास करेगी।